महिला जननांग विकृति के विरुद्ध शून्य सहनशीलता के अंतरराष्ट्रीय दिवस
या
महिला जननांग विकृति के खिलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय शून्य असहिष्णुता दिवस
6 फरवरी 2021
‘महिला जननांग विकृति के खिलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय शून्य असहिष्णुता दिवस’ महिला जननांग विकृति (फीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन/एफजीएम) के ख़तरों के बारे में लोगों को शिक्षित करने और उनके बीच जागरूकता बढ़ाने तथा इसके खिलाफ़ ठोस कार्रवाई करने के लिए प्रतिवर्ष 6 फरवरी को मनाया जाता है। दिसंबर 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (संयुक्त राष्ट्र) ने महिला जननांग विकृति की समाप्ति की घोषणा का प्रस्ताव पारित किया था।
डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) और संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने महिला जननांग विकृति को "महिला जननांग का बाहर रहने वाला आंशिक या संपूर्ण हिस्सा काटने या गैर-चिकित्सा कारणों के लिए महिला जननांग अंगों की क्षति" के रूप में परिभाषित किया है।
कौन ज़ोखिम में है?
अफ्रीका, एशिया और मध्य पूर्व के अठाईस देशों में धार्मिक प्रक्रिया (धर्म) के नाम पर एफजीएम किया जाता है। यह प्रक्रिया तीस देशों में दो सौ मिलियन से अधिक लड़कियों और महिलाओं पर की जा चुकी है; और प्रतिवर्ष लगभग तीन मिलियन से ज़्यादा लड़कियां को एफजीएम से पीड़ित होने का ज़ोखिम होता है। महिला जननांग विकृति के कारणों में परिवारों और समुदायों के भीतर सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक कारक शामिल है।
यह लिंग के बीच गहरी-असमानता को दर्शाता है तथा महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ़ अत्यधिक भेदभाव के प्रकार का निर्माण करता है। यह उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा और शारीरिक समग्रता के अधिकारों का भी उल्लंघन करता है, उन्हें यातना और क्रूरता, अमानवीय कृत्य या अपमानजनक उपचार से मुक्त होने का अधिकार है। उन्हें जीवन जीने का अधिकार है, जबकि इस प्रक्रिया का परिणाम मृत्यु है।
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#महिला जननांग विकृति को समाप्त करें #युवा शक्ति द्वारा एफजीएम उन्मूलन
वर्ष 2021 का विषय ‘वैश्विक निष्क्रियता के लिए कोई समय नहीं: महिला जननांग विकृति को समाप्त करने के लिए एकजुटता, निधि और कार्रवाई’ हैं।
कोविड-19 महामारी के दौरान बहुत सारे देशों में "संकट के भीतर संकट" के तहत महिला जननांग विकृति में बढ़ोतरी का अनुभव किया गया है इसलिए यह महत्वपूर्ण है’ कि महिलाओं और लड़कियों को सक्षम बनाने करने के लिए विश्व का पुनर्निर्माण किया जाए, जिसमें उनके पास अपनी अभियक्ति, चयन का अधिकार और अपने जीवन पर नियंत्रण हों।
इसे वैश्विक समुदायों द्वारा प्रणालीगत प्रयासों और समन्वय से संभव बनाया जा सकता है।
कोई स्वास्थ्य लाभ नहीं होता हैं, केवल नुकसान होता है:
एफटीएम में स्वस्थ और सामान्य महिला के जननांग ऊतकों को निकालना और हानि पहुंचाना शामिल है, इस तरह यह लड़कियों और महिलाओं की सामान्य शारीरिक प्रक्रिया को बाधित करता है। इससे कोई स्वास्थ्य लाभ नहीं होता है तथा यह कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं उत्पन्न करने के साथ लड़कियों और महिलाओं को हानि पहुँचाता है।
एफटीएम की स्वास्थ्य जटिलताएं:
तात्कालिक जटिलताएं: गंभीर दर्द, आघात, रक्तस्राव (खून बहना), टेटनस या सेप्सिस (जीवाणु संक्रमण), पेशाब संबंधी समस्याएं, जननांग के पास खुला घाव और जननांग के आसपास के ऊतकों में क्षति और मृत्यु तक हो सकती है।
दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं:
• पेशाब संबंधी समस्याएं (पेशाब करते समय दर्द, मूत्र मार्ग में संक्रमण);
• योनि संबंधी समस्याएं (स्राव, खुजली, बैक्टीरियल वेज़िनोसिस और अन्य संक्रमण);
• मासिक धर्म संबंधी समस्याएं (माहवारी में दर्द, मासिक धर्म के दौरान रक्त पारित होने में परेशानी)।
• निशान और कीलोइड गठन;
• बांझपन;
• यौन समस्याएं (संभोग के दौरान दर्द, संतोष में कमी);
• प्रसव संबंधी जटिलताएं (प्रसव में परेशानी, अत्यधिक रक्त बहना, शल्य चिकित्सा से प्रसव, बच्चे को पुन: पुनर्जीवित करने की आवश्यकता) और नवजात शिशु मृत्यु के ज़ोखिम में बढ़ोत्तरी।
• बाद में सर्जरी की आवश्यकता; तथा
• मनोवैज्ञानिक समस्याएं (जैसे कि अवसाद, चिंता, पोस्ट-ट्रोमैटिक तनाव विकार, आत्मसम्मान में कमी)।
हालांकि एफजीएम चिकित्सा कारणों से सही नहीं है, कई देशों में इस प्रक्रिया को स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता द्वारा किया जाता है। डब्लूएचओ के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं को पता होना चाहिए कि:
• एफजीएम मानव अधिकारों का उल्लंघन है।
• एफजीएम को कभी नहीं किया जाना चाहिए (यहां तक कि स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता द्वारा भी नहीं किया जाना चाहिए)।
यदि यह प्रथा जारी रहती हैं, तो वर्ष 2030 तक दुनिया भर में लगभग 86 मिलियन से ज़्यादा लड़कियों को इस यातना से गुजरना पड़ेगा। इस प्रकार इस अमानवीय प्रथा को छोड़ने की तत्काल आवश्यकता है, जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनाइटेड नेशन्स चिल्ड्रेंस फंड/यूनिसेफ़) और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि (यूएनएफपीए) ने एफटीएम पर संयुक्त कार्यक्रम स्थापित किया है, यह एफजीएम को ख़तम करने और उसके परिणामों की देखभाल के लिए सबसे बड़ा वैश्विक कार्यक्रम है।
वर्ष 2015 में सतत विकास लक्ष्यों में लैंगिक समानता पर पांचवें उद्देश्य के तहत वर्ष 2030 तक एफजीएम को समाप्त करने का आह्वान किया गया है। इसका उद्देश्य 5.3 सभी हानिकारक प्रथाओं जैसे कि बच्चे, प्रारंभिक और जबरदस्ती विवाह और महिला जननांग विकृति को समाप्त करना है।
मुख्य तथ्य:
• अकेले 2020 में विश्वभर में 4.1 लड़कियों को महिला जननांग विकृति से गुजरने का खतरा रहा है।
• एफजीएम को नवजात अवस्था से लेकर पंद्रह वर्ष की अवस्था में किया जाता है तथा कभी-कभी युवा लड़कियों में भी किया जाता है।
• एफजीएम के कारण केवल नुकसान होता है तथा इसका कोई स्वास्थ्य लाभ नहीं है।
• एफजीएम लड़कियों और महिलाओं के मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
संदर्भ:
- PUBLISHED DATE : Feb 05, 2021
- PUBLISHED BY : NHP Admin
- CREATED / VALIDATED BY : Sunita
- LAST UPDATED BY : Feb 05, 2021
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