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गठिया (संधिशोथ)

गठिया (संधिशोथ) जोड़ों की बीमारी (जोड़ों की सूजन) है।

गठिया रोग कई प्रकार का होता है।

गठिया के प्रकार निम्नलिखित हैं:

ऑस्टियोआर्थराइटिस: यह रोग अक्सर उम्र बढ़ने या चोट से संबंधित हो सकता है।

रुमेटी (संधिशोथ): यह रोग गठिया का सबसे सामान्य प्रकार होता है।

किशोर रुमेटी (संधिशोथ): यह रोग बच्चों में पाये जाने वाले गठिया का रूप होता है।

संक्रामक गठिया: यह गठिया का संक्रामक रूप होता है, जो कि शरीर के किसी अन्य भाग से जोड़ों में फैलता है।

गाउट: यह जोड़ों की सूजन होती है।

इस रोग में व्यक्ति की प्रमुख शिकायत जोड़ों में दर्द होती है। यह दर्द किसी ख़ास स्थान पर होता है या लगातार भी हो सकता है। इस रोग में जोड़ों के आसपास होने वाली सूजन के कारण गठिया का दर्द होता है। दैनिक जीवन में हड्डियों की घिसाई या बीमारी के कारण जोड़ों की क्षति हो जाती है। इस रोग के दौरान जोड़ों में अत्यधिक दर्द और थकान के विरुध सशक्त गतिविधियों द्वारा मांसपेशियों में तनाव पैदा हो सकता है।

संदर्भ:

www.cdc.gov

www.nlm.nih.gov

www.nhs.uk

www.arthritis.org

Merck Serono - Bone and Joint Health

गठिया रोग के सामान्य लक्षणों में हड्डियों के जोड़ (जॉइन्ट्स) शामिल हैं। इस रोग का सामान्य लक्षण जोड़ों की सूजन के साथ-साथ जोड़ों में दर्द और जकड़न है। गठिया के विकार जैसे कि ल्युपस और रुमेटी, लक्षणों के प्रकारों द्वारा शरीर के अन्य अंग भी प्रभावित हो सकते हैं।

  • चलने में परेशानी।
  • अस्वस्थता और थकान महसूस होना।
  • वज़न में कमी।
  • नींद में विघ्न।
  • मांसपेशियों में पीड़ा और दर्द।
  • स्पर्श करने पर होने वाला दर्द।
  • जोड़ों की गतिविधियों में परेशानी।

संदर्भ:

www.nhs.uk

जब शरीर की हड्डियों के जोड़ों में सूजन होती है, तब शरीर से निकलने वाले रसायन रक्त या प्रभावित ऊतकों में पहुँच जाते हैं। निष्काषित रसायन प्रभावित हिस्से या संक्रमण की जगह पर रक्त प्रवाह को बढ़ाते है, जिसके परिणामस्वरूप प्रभावित हिस्से में लालिमा और जलन महसूस में होती है। कुछ रसायनों के कारण ऊतकों में तरल पदार्थ का रिसाव होता है, जिसके परिणामस्वरूप जोड़ों में सूजन हो जाती है। यह प्रक्रिया तंत्रिकाओं को उत्तेजित कर सकती हैं तथा दर्द का कारण भी हो सकती हैं।

संदर्भ:

www.cdc.gov

शारीरिक परीक्षण: यह प्रतिबंधित शारीरिक गतिविधियों के साथ जोड़ों में सूजन, जलन या लालिमा को प्रदर्शित करता हैं।

रक्त परीक्षण: आमतौर पर इस परीक्षण का उपयोग रुमेटी (संधिशोथ) के लिए किया जाता है।

रुमेटी (संधिशोथ) कारक (आरएफ): यह परीक्षण रुमेटी (संधिशोथ) की जाँच के लिए किया जाता है। हालांकि, आरएफ, लोगों के आरए से पीड़ित हुए बिना या अन्य स्व-प्रतिरक्षित विकारों के साथ भी पाया जा सकता है। आमतौर पर, यदि किसी व्यक्ति में आरए के साथ रुमेटी (संधिशोथ) के कारक उपस्थित नहीं होते है, तो बीमारी का कोर्स (अवधि) अल्प गंभीर होता है।

ईएसआर (एरिथ्रोसाइट अवसादन रेट) और सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) का स्तर: ये भी बढ़ जाते हैं। सीआरपी और ईएसआर दोनों के स्तरों का उपयोग बीमारी की गतिविधियों की जांच तथा किसी व्यक्ति के उपचार के प्रति प्रतिक्रिया का निरीक्षण करने के लिए किया जाता हैं।

इमेजिंग स्कैन: आमतौर पर एक्स-रे, सीटी स्कैन और एमआरआई का उपयोग हड्डियों एवं उपास्थि के चित्रों को प्राप्त करने के लिए किया जाता हैं, ताकि रोग का पता लगाया जा सकें।   

शारीरिक व्यायाम: दर्द के दौरान, मांसपेशियों को मज़बूत बनाने का आख़िरी विकल्प व्यायाम होता है, लेकिन इसके लिए स्ट्रेचिंग व्यायाम अत्यधिक उपयोगी साबित होता है।

दर्द निवारक: दर्द निवारक जैसे कि एनएसएआईडी (नॉन स्टेरायडल एंटी इंफ्लामेटरी दवाओं)। आमतौर पर, रसायनों के साथ एनएसएआईडी के हस्तक्षेप को शरीर में प्रास्टाग्लैंडिनों के नाम से जाना जाता हैं, जो कि दर्द, सूजन और बुखार को ट्रिगर करता है। यह दर्द निवारक सभी प्रकार के दर्द से राहत दिलाने में सहायता करते हैं।

सर्जरी: जोड़ों के प्रत्यारोपण (सर्जरी) का उपयोग अक्सर उन व्यक्तियों के लिए किया जाता है, जिन्हें चलने में असमर्थता या चलने में अत्यधिक परेशानी होती है।

रोग-संशोधित एंटी रूमैटिक दवाएं (डीएमएआरडीएस ): प्राय: इसका उपयोग रुमेटी संधिशोथ (गठिया) का उपचार करने के लिए किया जाता हैं; प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ों पर हमला करती है। इस हमले को रोकने के लिए डीएमएआरडीएस का सेवन किया जाता है, जिसके परिणामस्वरुप प्रतिरक्षा प्रणाली का जोड़ों पर हमला कम या बंद हो जाता है। उदाहरण के लिए इसमें मिथोट्रेक्सेट (ट्रैक्साल) और हैड्रो आक्सीक्लोरोक्वेन (प्लेक्नियूल) दवाएं शामिल हैं।

इंट्रा-आर्टिकुलर इंजेक्शन: इस प्रक्रिया का उपयोग इंफ्लामेटरी जोड़ों की स्थितियों जैसे कि रुमेटी संधिशोथ (गठिया), सोरायटिक,गाउट, कण्डराशोथ, बुर्सिटिस तथा कभी-कभी पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस के उपचार के लिए किया जाता हैं। हाइपडर्मिक सुई द्वारा प्रभावित जोड़ों में अनेक एंटी-इंफ्लामेटरी एजेंट्स में से एक की ख़ुराक को दिया जाता हैं, जिसमें सबसे सामान्य कोर्टिकोस्टेरायडल हैं।

संदर्भ

www.arthritis.org

www.cdc.gov

  • PUBLISHED DATE : May 18, 2015
  • PUBLISHED BY : NHP CC DC
  • CREATED / VALIDATED BY : NHP Admin
  • LAST UPDATED ON : Dec 15, 2015

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