विश्व हीमोफीलिया दिवस, हीमोफीलिया तथा खून बहने वाले विकारों के बारे में जागरूकता फ़ैलाने के लिए प्रतिवर्ष ७ अप्रैल को मनाया जाता है। इस वर्ष इस दिवस का विषय “सबका उपचार : सबका लक्ष्य” है।
हीमोफीलिया खून के थक्के बनने की क्षमता को प्रभावित करने वाला एक आनुवंशिक रोग है। हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति को हीमोफीलिया रहित सामान्य व्यक्ति की तुलना में चोट लगने पर अधिक खून बहता है। इस बीमारी से महिलाओं की तुलना में पुरुषों के प्रभावित होने की संभावना अधिक होती है। यह रोग “हीमोफीलिया ए अथवा हीमोफीलिया बी” दो प्रकार का होता हैं। यह रोग थक्के के आठ अथवा नौ घटकों की कमी पर निर्भर करता है। इस विकार का सबसे सामान्य प्रकार “हीमोफीलिया ए” विकार होता है। यह प्रति पांच से दस हजार जन्मे बच्चों में से किसी एक को जन्म के समय होता है। “हीमोफीलिया बी” लगभग प्रति बीस से चौंतीस हजार जन्मे बच्चों में से किसी एक को जन्म के समय प्रभावित करता हैं।
हीमोफीलिया के लक्षण।
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आसानी से खरोंच लगने की आदत।
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नाक से खून बहना, जो कि आसानी से बंद नहीं होता है।
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दंत चिकित्सा जैसे कि दाँत निकालते समय और रूट कैनाल के उपचार के दौरान अत्याधिक खून बहना।
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जोड़ों में सूजन अथवा असहनीय पीड़ा होना।
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पेशाब के रास्ते खून बहना।
आमतौर पर, हीमोफीलिया की जानकारी जीवन के आरंभिक दिनों में हो जाती है, लेकिन, इस रोग की जानकारी कभी-कभी केवल बड़ी चोट लगने अथवा शल्य चिकित्सा के समय होती है। हीमोफीलिया की जानकारी जन्म के पहले, दौरान अथवा बाद में सामान्य रक्त परीक्षण द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं। हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्ति स्वस्थ जीवनयापन कर सकता हैं। यद्यपि, इस बीमारी को उपचारित नहीं किया जा सकता है, लेकिन रक्त के थक्कों के घटकों की कमी को नियमित आधान द्वारा प्रबंधित किया जा सकता है।
संदर्भ:
- PUBLISHED DATE : Apr 13, 2016
- PUBLISHED BY : Zahid
- CREATED / VALIDATED BY : Sunita
- LAST UPDATED BY : Apr 13, 2016
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